Extension of agnipath kavita

image

 

 

सिर्फ़ होसले बुलंद है, न कोई प्रबंध है
अपनी राह पर स्ंकल्प की मशाल ले
चल तू अनवरत ,अनवरत ,अनवरत
अग्निपथ ! अग्निपथ ! अग्निपथ !

चलते चलते तू गिरेगा भी कभी
प्रण कर तू न .कभी डिगेगा कभी
ठोकरों से टकरा कर मेरे लाल
डर मत ! डर मत ! डर मत !
अग्निपथ ! अग्निपथ ! अग्निपथ !

आत्मा अनंत है ,सदैव ही जीवंत है
नीर से न भीगती ,वायु से ना सूखती
अग्नि की जलाने वाली है क्या
कोई लपट !कोई लपट !कोई लपट
अग्निपथ ! अग्निपथ ! अग्निपथ !

 

 

श्री हरिवंश राय बच्चन जी को सादर समर्पित यह कविता, एक प्रयास कुछ और पंकितया जोड़ने का

आपका शुभचिंतक
विवेक जैन

 

==================================================

अगर आप कुछ खरीदना चाहते है तो मेरी इस लिंक से जाइए

Amazon

Flipkart

—————————————————————————–

Hi There!

Thank you for visiting this post. Please use my Affiliate marketing URL,

if you have plan to buy something from

Amazon

Flipkart

 

 

 

5 comments

Leave a comment